तलाश

वो आए  इस कदर  हमारी जिंदगी में ,की तन्हा दिल का मंजर  बन गए
जो लब हमारे सिल गए थे शायद ,उन लबों के वो शब्द बन गए
जिंदगी कितनी हसीन है ,अब आया था समझ में
हकीकत हुए वो आज ,जो कभी थे सपने
पर इस ज़माने की बेदर्दी देखो ,वो ना समझ पाए इस रिश्ते को
आज हम फिर से तन्हा हैं और फिर उसी की तलाश है |


-आशीष लाहोटी     २७-मार्च-११

Comments

Popular posts from this blog

अबला या बला ?

PaPa

DiL Ka DaRD ...