क्यों ?
हम पराये ही भले थे फिर यूँ अपनापन जताया क्यों था
जब साथ छोड़ कर जाना ही था फिर हाथ मिलाया क्यों था
जब उड़ना ही था ओ परिंदे तो यंहा बसेरा बसाया क्यों था
किया इंतजार बहुत पर उस पार से लहरों को आना ही क्यों था
-आशीष लाहोटी (१६ -जुलाई -११ )
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