When thoughts turn into words..shayari borns
एक छोटी सी पेशकश मेरी तरफ से
मुझसे खफा होकर तुम कंहा जाओगे ,मेरी वफ़ा को ऐसे कैसे भुलाओगे
मैं तो वो अक्स हूँ तेरी चिलमन का, बंद आँखों में भी हमे ही पाओगे
--आशीष लाहोटी २४-मार्च-११
एक आशा
रात है आगोश में लेने को ,कुछ अनबुने ख्वाबों की सौगात लाएगी |
क्या हुआ गर कल नहीं था अपना ,फिर एक नयी सुबह आयेगी |
-आशीष लाहोटी ३०-मार्च -११
तन्हाई
वो फिर आयेगी एक बार दिल को ये समझा रहे हैं ,दर्दे तन्हाई में बस यूंही बीते जा रहे हैं |
-आशीष लाहोटी ७-अप्रैल-११
मुझसे खफा होकर तुम कंहा जाओगे ,मेरी वफ़ा को ऐसे कैसे भुलाओगे
मैं तो वो अक्स हूँ तेरी चिलमन का, बंद आँखों में भी हमे ही पाओगे
--आशीष लाहोटी २४-मार्च-११
एक आशा
रात है आगोश में लेने को ,कुछ अनबुने ख्वाबों की सौगात लाएगी |
क्या हुआ गर कल नहीं था अपना ,फिर एक नयी सुबह आयेगी |
-आशीष लाहोटी ३०-मार्च -११
तन्हाई
वो फिर आयेगी एक बार दिल को ये समझा रहे हैं ,दर्दे तन्हाई में बस यूंही बीते जा रहे हैं |
-आशीष लाहोटी ७-अप्रैल-११
Comments